Freelance Falcon ~ Weird Jhola-Chhap thing ~ ज़हन

Sunday, May 29, 2016

माँ को माफ़ कर दो... (मोहित शर्मा ज़हन)

बीच सड़क पर चिल्ला रहे, ज़मीन पीट रहे, खुद को खुजा रहे और दिशाभ्रमित भिखारी से लगने वाले आदमी को भीड़ घेरे खड़ी थी। लोगो की आवाज़, गाड़ियों के हॉर्न से उसे तकलीफ हो रही थी। शाम के धुंधलके में हर दिशा से आड़ी-तिरछी रौशनी की चमक जैसे उसकी आँखों को भेद रहीं थी। जिस कार ने उसे टक्कर मारी थी वो कबकी जा चुकी थी। कुछ सेकण्ड्स में ही लोगो का सब्र जवाब देने लगा। 

"अरे हटाओ इस पागल को !!" एक साहब अपनी गाडी से उतरे और घसीट कर घायल को किनारे ले आये। खरीददारी कर रिक्शे से घर लौट रही रत्ना घायल व्यक्ति के लक्षण समझ रहीं थी। एकसाथ आवाज़, चमक की ओवरडोज़ से ऑटिज़्म या एस्पेरगर्स ग्रस्त वह व्यक्ति बहुत परेशान हो गया था और ऐसा बर्ताव कर रहा था। भाग्य से उसे ज़्यादा चोट नहीं आई थी। 

"रोते नहीं, आओ मेरे साथ आओ।" रत्ना उस आदमी को बड़ी मुश्किल से अपने साथ एक शांत पार्क में लाई और उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी। "भूख लगी है? लो जूस पियो-चिप्स खाओ।" फिर न जाने कब रत्ना उस प्रौढ़ पुरुष को अपने सीने से लगाकर सिसकने लगी। पार्क में इवनिंग वाक कर रहे लोगो के लिए यह एक अजीब, भद्दा नज़ारा था। उनमे कुछ लोग व्हाट्सप्प, फेसबुक आदि साइट्स पर अपने अंक बनाने के लिए रत्ना की तस्वीरें और वीडियों बनाने लगे...पर रत्ना सब भूल चुकी थी, उसके दिमाग में चल रहा था..."काश कई साल पहले उस दिन, मेरी छोटी सोच और परिवार के दबाव में तीव्र ऑटिज़्म से पीड़ित अपने बच्चे को मैं स्टेशन पर सोता छोड़ कर न आती।"

समाप्त!
===============
Art - Frederic Belaubre
#mohitness #mohit_trendster #trendybaba #freelancetalents #freelance_talents

1 comment:

  1. काफी से अधिक मार्मिक
    सादर

    ReplyDelete