Freelance Falcon ~ Weird Jhola-Chhap thing ~ ज़हन

Thursday, November 16, 2017

दो प्रकार के कलाकार (लेख) #freelance_talents

Artwork - Matt S.

एक कला क्षेत्र के प्रशंसक, उस से जुड़े हुए लोग उस क्षेत्र में 2 तरह के कलाकारों के नाम जानते हैं। पहली तरह के कलाकार जिनके किये काम कम हैं। फिर भी उन्होंने जितना किया है सब ऐसे स्तर से किया है कि प्रशंसकों, क्षेत्र के बाहर कई लोगों को उनके बारे में अच्छी जानकारी है। दूसरी तरह के कलाकारों के काम की संख्या बहुत अधिक है पर उनके औसत काम की पहुँच कम है। उदाहरण - मान लीजिए कलाकार #01 ने एक नामी प्रकाशन में इंटर्नशिप की और वहाँ उसे बड़े प्रकाशनों के साथ काम करने का अवसर मिला। उसने अपने जीवनकाल में 31 पुस्तकों में चित्रांकन किया और बड़े प्रकाशन में छपने के कारण उसकी हर पुस्तक के चर्चे देश-दुनियाभर में हुए। साथ ही बड़े नाम के कारण उसकी कलाकृतियों की कई प्रदर्शनियाँ लगीं। अब मिलिए कलाकार #02 से जो बचपन से कला बना रहा है। सीमित साधनों, अवसरों के बीच कुछ स्थानीय प्रकाशनों के साथ लगातार काम कर रहा है। उसे अब खुद याद नहीं कि उसने कला में अपने जीवन के कितने करोड़ क्षणों की आहुति दी है। कभी-कभार इंटरनेट या किसी प्रदर्शनी में वायरल हुई कलाकृति से उसका नाम उस क्षेत्र में रूचि रखने वाले लोगों को दिख जाता है। सालों-साल 15-20 बार यह नाम सुनकर लोग कह देते हैं कि "हाँ, कहीं सुना हुआ लग रहा है ये नाम..." बस ये कुछ सांत्वना मिल जाती है। बाकी क्षेत्र के बाहर तो इतना भी दिलासा नहीं। कलाकृतियों की संख्या और कला में प्रयोग, विविधता की तुलना करें तो कलाकार #02 ने अपने जीवन में जितना काम किया है उसमे से 36 कलाकार #01 निकल आयें। 

कलाकार #01 को घनत्व/नाम/भाग्य श्रेणी और कलाकार #02 को वॉल्यूम (मात्रा) बेस्ड श्रेणी में रखा जा सकता है। ज़रूरी नहीं पूरे जीवन कोई एक श्रेणी में रहे पर अधिकांश कलाकार एक ही श्रेणी में अपना जीवन बिता देते हैं। कई लोगों का तर्क होता है कि अगर किसी में अपने काम को लेकर लगन-पैशन, एकाग्रता है तो उसे सफलता मिलती है बाकी बातें केवल बहाने हैं। यह बात आंशिक सच है पूरी नहीं। यहाँ दोनों श्रेणी के कलाकार सफल हैं। पहला कलाकार अपनी मार्केटिंग और पैसे के मामले में सफल हुआ है लेकिन कला की साधना के मामले में दूसरा कलाकार सफल है, उसके लिए तो यही सफलता है कि सारे जीवन वह कला में लीन रहे। अब ये देखने वाले पर है कि वह दुनियादारी में रहकर देख रहा है या दुनियादारी से ऊपर उठकर। ध्यान देने योग्य बात ये कि कई असफल लोग भाग्य को दोष देते हुए खुद को मात्रा बेस्ड (कलाकार #02) की श्रेणी में मान लेते हैं जबकि उसके लिए भी कई वर्षों की मेहनत लगती है। दो-चार साल या और कम समय कहीं हाथ आज़मा किस्मत को दोष देकर वो क्षेत्र छोड़ देने वाले व्यक्ति को इन दीर्घकालिक श्रेणियों में नहीं गिना जा सकता। 

यहाँ किसी को सही या ग़लत नहीं कहा जा रहा। जीवन के असंख्य समीकरण कब किसको कहाँ ले जायें कहा नहीं जा सकता। अगर आप किसी भी तरह की कला चाहे वो संगीत, लेखन, काव्य, नृत्य, पेंटिंग आदि में रूचि लेते हैं तो कोशिश करें की अपनी तरफ से अधिक से अधिक वॉल्यूम बेस्ड श्रेणी के कलाकारों के काम तक पहुँचे, उन्हें प्रोत्साहित करें, अन्य लोगों को उनके बारे में बतायें क्योकि उनकी कला आपतक आने की बहुत कम सम्भावना है। बड़े मंच के सहारे कलाकार #01 का काम तो आप तक आ ही जायेगा। 
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2 comments:

  1. प्रिय मोहित बहुत अच्छा लिखा आपने | ही तरह की सोच को अपनाते मैंने भी अपने भूले बिसरे शौक को अपनाया | सभी को अपना शौक हमेशा ज़िंदा रखना चाहिए |

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  2. प्रिय मोहित बहुत अच्छा लिखा आपने | आप ही तरह की सोच को अपनाते मैंने भी अपने भूले बिसरे शौक को अपनाया और इस अनगढ़ लेखन में मुझे बहुत ही सराहना मिली तो मन बाग़- बाग़ हो गया | सभी को अपना शौक हमेशा ज़िंदा रखना चाहिए | दोनों तरह के कलाकार महत्व पूर्ण हैं पर लोग बढ़िया काम करने वालों को ही याद रखते हैं भले ही उन्होंने काम ज्यादा ना किया हो

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