Comics Theory Book launch and Workshop (2 September 2018)
1) - Albela (Arvind Negi)
2) - Chori ka Arop (Husain Zamin)
3) - Comics Theory #01 - Ghosts of India (Various)
4) - Savitri (Shambhu Nath Mahto)
कॉमिक्स थ्योरी के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम में कई कलाकारों और पाठकों से मिलने का अवसर मिला। तदम ग्यादू, एम.के. गोयल, अरविंद सिंह, विलक्षण कौशिक (गायक), अनुपम रावत, रोहित शर्मा, व्योमा मिश्रा जी, मोहन शर्मा जी से पहली बार मिलकर मन गदगद हो गया। हालाँकि, ऐसे अवसरों पर अक्सर जितना समय हम चाहते हैं उतना सबके साथ नहीं बिता पाते। कभी-कभी किसी नये चेहरे से मिलने के लिए बढ़ते क़दमों को कोई पुरानी जानी-पहचानी आवाज़ रोक कर बैठा लेती है...बस फिर एक बात से दूसरी बात और नये चेहरों से सीमित चर्चा जिसका बाद में मलाल रह जाता है।
विशेष अतिथिगण किशोर श्रीवास्तव जी, हुसैन सर, अरविन्द साहू जी, व्योमा मैम, ललित शर्मा जी, प्रियदर्शन जी, स्मिता जी और जगदीश जी ने अपने अनमोल अनुभव बाँटे। मनीष मिश्र की आगामी कॉमिक "द हॉरर शो" और ड्रीम कॉमिक्स की अन्य प्रस्तुतियों के पोस्टर सुन्दर और जिज्ञासा बढ़ाने वाले थे। अरविंद सिंह नेगी बड़ी गर्मजोशी से मिले। आज साहित्य को अरविंद जैसे युवा शिल्पियों की ज़रुरत है। उनकी आगामी पुस्तक "अलबेला" के बारे में जो जानकारी सुनी उससे तो लगता है एक बढ़िया उपन्यास पढ़ने को मिलेगा। यहाँ भी उनका मार्गदर्शन शम्भू जी कर रहे हैं।आजकल कॉमिक्स थ्योरी, नन्हे सम्राट में सक्रीय जय भाई और वरिष्ठ कलाकार विवेक कौशिक सर के वर्कशॉप जैसे गागर में सागर थे, जहाँ काफी सीखने को मिला। वर्कशॉप से पहले और बाद में भी जय भाई सभी को समय देने की भरपूर कोशिश कर रहे थे जो देखकर प्रसन्नता हुयी। फैन फेस्ट के बारे में जानकारी देती मोहनीश और आकाश की प्रस्तुति लाजवाब रही, जिस से पता चला कि कितने कम समय में लगातार इस आयोजन का रूप बढ़ता जा रहा है। अच्छी बात ये रही कि मोहनीश ने डिप्लोमेटिक राह ना चुनकर अपने मन की बातें और आयोजन में आने वाली चुनौतियों के बारे में सबको बताया। यू.एफ़.सी. कम्युनिटी से ललित पालीवाल और साथियों ने कार्यक्रम में भागीदारी की, उनकी कॉमिक "बेचारा मोटेलाल" की प्रतियाँ इवेंट में थी। निखिल वर्मा का कॉस्प्ले अबतक का उनका सबसे बढ़िया कॉस्प्ले कहा जा सकता है। कॉमिक्स की थीम पर उनका गेटअप डरावना था।
मेरा अधिकतर समय अभिराज, प्रकाश भल्ला भाई, तन्वी, संजय सिंह और मनीष के साथ गप्पे लड़ाते हुए बीता। मेरा एक छोटा सा सेशन हुआ जिसमें लेखन, कॉमिक्स और साहित्य से जुड़े मन में दबे कुछ विचार कहे। इतने दिग्गज कलाकारों के बीच वैसे ऐसे सेशन के ज़्यादा मायने नहीं लगते।
आयोजन को सफल बनाने में अनुपम रावत, आयुष, अभिराज, तन्वी, अक्षय, अमित, मुर्शीद, दीपक व अन्य साथियों ने बेजोड़ मेहनत दिखायी। वहीं दूर होकर भी शाहब खान और धीरज कुमार ने अपने योगदान दिये। अंत में शम्भू जी का धन्यवाद इतना लोड लेने के लिए, तेज़ बारिश और विपरीत परिस्तिथियों में डटे रहने के लिए और भारतीय कॉमिक्स के अनदेखे पहलुओं पर लबडब करती स्पॉटलाइट मारने के लिए। नयी पीढ़ी के पाठक और कलाकार आपके इन्ही प्रयासों से कई खो चुके कलाकारों, विधाओं और कॉमिक्स के बारे में जानेंगे। आपने कहा था कि आप भारतीय कॉमिक्स परिवेश और इतिहास पर डॉक्टरेट शोध करना चाहते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि कॉमिक्स थ्योरी, कॉमिक्स फैन डॉक्यूमेंट्री जैसे उपक्रम से आप ऐसा करेंगे और भारतीय कॉमिक्स पर संघर्ष में लबडब करती नहीं...बल्कि परछाईयों के महीन कोण गढ़ती तेज़ स्पॉटलाइट डालेंगे। :)
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