क्या आत्मायें प्रतिशोध मे किसी विक्षिप्त की तरह बर्ताव कर सकती है? क्या आप आत्माओ को पागल कह सकते है?...शायद हाँ!
बांधव गाँव मे घूम रही है एक अतृप्त, पागल आत्मा जो मरने के बाद चाहती है अपनी मौत का बदला पर जो दोषी नहीं है उनसे कैसा बदला? वो देना चाहती है एक संदेश की "कभी किसी काम मे किसी का साथ मत दो और अगर दो तो...मरो मेरे साथ!"
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Free ebook (Maro Mere Saath)
by Mohit Sharma "Trendster", मोहित शर्मा (ज़हन)
नाम तो बहुत रोचक है, अभी कॉमिक्स पढ़ी नहीं वो भी रोचक ही होगी :)
ReplyDeleteKapil Bhai, abhi to ye textual story hai. Baaki stories par comics jald hi laane wala hun.
ReplyDeletethis horror story is awesome maro mere saath rockzzz
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