Working with the Fiction Comics Team on the promotion of their upcoming Horror series Pagli. More ads coming soon....
"छुप्पन छुप्पाई खेलें छुप्पन छुप्पाई....
टेडी मेरे भाई खेलें...छुप्पन छुप्पाई...
तम तीनो ने जो एक लड़के पर गाडी चढ़ाई..
सोचा तस्सल्ली मे दुनिया न देख पाई...
पगली पीछे आई...देखो पगली पीछे आई...
छुप्पन छुप्पाई खेलें छुप्पन छुप्पाई...."
Ad # 1
"छुप्पन छुप्पाई खेलें छुप्पन छुप्पाई....
टेडी मेरे भाई खेलें...छुप्पन छुप्पाई...
तम तीनो ने जो एक लड़के पर गाडी चढ़ाई..
सोचा तस्सल्ली मे दुनिया न देख पाई...
पगली पीछे आई...देखो पगली पीछे आई...
छुप्पन छुप्पाई खेलें छुप्पन छुप्पाई...."
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"गुस्सा नहीं करते, सॉरी बाबू....आने मे देर हो गयी और तुम्हारी सौतेली
मम्मा जी तुमको मार दिया...रास्ते मे कुछ अंकल लोग मिल गये थे, उन्होंने ना
देरी करवा दी. गंदे अंकल कहीं के! अरे सॉरी बोल रहीं हूँ ना..दूकान वाली
बूढी अम्मा ने बोला है की बारिश मे भीगने से सर्दी लग जाती है...अब उठ भी
जाओ....उठक-बैठक लगाऊ क्या? तुम्हारी गंदी मम्मी को को भी पनिशमेंट दे
दूंगी प्रोमिस...मुर्गा..सॉरी..सॉरी मुर्गी बना दूंगी..ही ही ही....ओके
मुझसे कट्टी है मान लिया पर टेडी से तो हैण्ड शेक कर लो...उस से बात करो
लो...पगली दीदी की बात मान लो प्लीज्...."
zabardast language & style bro.coooool!!!!!!
ReplyDeletewaah...Jis tarah se yeh lines likhi gayi hai..unse lagta hai jaise mahaul bahut halka aur khushnuma sa hai...lekin aage bahut khatra aur aisa hona hai jo bilkul ulat hai..
ReplyDeleteaise scenes se hi kahani mein romanch aata hai..jab padhne waale ko achanak se chauka diya jaata hai
Hi mohit ji ,
ReplyDeleteAre comics of pagli series available now.