यह कहानी है दो खानदानों के बीच पीढ़ियों से चली आ रही रंजिश की, जिसका अंत देखने सुनने वालो को असंभव लगता था। बदले ज़माने के नये परिवेश में भी राणा और वर्मा परिवारों की दुश्मनी बरकरार थी, और होती भी क्यों ना? इनके पुरखों ने ना जाने कितनी आहुतियाँ दे डाली थी अब तक इन झगड़ों में। सीधे ढर्रे पर चलते जीवन में जैसे सुर्ख रंग की मिलावट की आदत पड़ गयी थी इन्हे।
आज बरसो बाद एक बार फिर से दोनों परिवार आमने सामने थे। क्या पुरुष - क्या महिला, सबकी आँखों में बरसों का रोष झलक रहा था। एक तरफ वर्मा परिवार के मुखिया भानु वर्मा, जिन्हे अपनी पीएचडी डिग्री का गुमान और दूसरी तरफ राणा परिवार के सर्वेसर्वा संग्राम राणा जिन्होंने अपने पुरखों की शान में अपनी मूँछे नहीं कटाई। पर यह ऊपरी आडम्बर किसकी तसल्ली के लिए गढ़े जा रहे थे इसका जवाब किसी के पास नहीं था?
क्या इतिहास खुद को आज दोहराने वाला था? तो क्या कहानी का एक और पन्ना खून के रंग में रंगने वाला था? जानते हैं भानु वर्मा की शान, उनके अनुज बलिदान वर्मा कि ज़ुबानी।
"अरे कुछ ना हुआ भैया जी....मैं पहले ही कह रहा था कि बात सुलटा लो पर दोनों तरफ इतने कलमुँहे, कुल्टा लोग भरे पड़े है कि नहीं जी चाहे मकान-दुकान चले जायें पर आन-बान-शान ना चली जाये। और सब लड़ने को तैयार, मेरी भी मती मारी गयी थी जो जोश में आकर अपने भईया से भी आगे कूद के आगे आ गया। वही बात है कि जब एड्रिनलिन पम्प करता है तो आदमी जम्प करता है। तेज़ बहस, ललकारों को सुनकर मुफ्त की लड़ाई देखने की आस में भीड़ इखट्टा हो गयी, जिनको देखकर पास के स्कूल से हटकर चूरन-चाट वालो ने हमारे आस-पास ठेले लगा लिए। दोनों साइड जो कुछ एक लड़ना नहीं चाह रहे थे उन्हें लगा कि इतनी भीड़ और ठेले लग गये है उन्हें निराश घर नहीं भेजना चाहिए।
जंग का आगाज़ हुआ और......आई मम्मी इतनी ज़ोर का सरिया लगा ना मेरे खोपड़े पे कि डेढ़ सेकंड में गिव-अप कर दिया मैंने और चुस्की वाले की रेहड़ी की टेक लेके बैठ गया। लड़ाई शुरू होती इस से पहले ही गली के अपार्टमेंट की एक बालकनी जहाँ पूरी नवीन किराना स्टोर जॉइंट फैमिली संडे मूवी का प्लान कैंसल कर के हमारे युद्ध के एंटरटेनमेंट से अपने पैसे बचाने के मूड में थी, छज्जे समेत हम सबके ऊपर डह गयी।
संग्राम राणा परं ईंटो की बरसात हो गयी, जिसमे से एक ईंट ने घिसट कर उसकी मूँछ को नेस्तोनाबूद कर दिया। मेरे बड़े भ्राता भानु के खोपड़े पर नवीन किराना वालो कि नववधु का घुटना ऐसा लगा कि वह पीएचडी डॉक्टर से सीधा सातवी कक्षा वाले हो गए। ऊपर किसी कि गंदी नाली का पाइप चोक था वो टूटकर हमारी बहु-बेटियों का मेकअप धो गया।
किसकी टांग कौनसी है, किसकी कोहनी किसके पेट में चुभ रही है....कुछ पता नहीं। दुश्मनो के जो मुँह एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते थे वो मलबे के नीचे कामुक मुद्राओं दबे अनचाहे आपस में कहाँ-कहाँ चुंबन ले रहे थे। ताऊ जी जो मिलने आये थे और मज़े-मज़े में साथ आ गए और नवीन किराने वालो के कुत्ते के मुँह इस तरह मलबे में आमने-सामने पोज़ीशण्ड थे कि मदद आने तक कुत्ते से मुँह चटवाने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। ये जो रायता फैला इसके साफ़ होने के बाद पता चला दोनों पार्टीज की नानीयां, दादियां टकली हो गयी है। फिर किसी ने बताया की बुढ़िया के बाल वाले के कस्टमर ज़्यादा हो गए थे इसलिए उसने....."
अंत में अस्पताल में ही सुलह हुई और दोनों परिवारो को यह बात समझ आई कि पुरानी रंजिशों को चलाते रहने में समझदारी नहीं है। अब दोनों परिवारो कि नयी रंजिश शुरू हुयी......नवीन किराना स्टोर फैमिली से।
- मोहित शर्मा (ज़हन) #mohitness #mohit_trendster #freelance_talents
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