वैज्ञानिक नोमन आज कुछ पगलाया सा था। ख़ुशी में हल्काहट, बीच-बीच में उसकी चाल से अपने आप नाच तक निकल रहा था। कई हफ़्तों की मेहनत के बाद उसने एक उल्कापिंड के टुकड़ो के गिरने के स्थान को चिंहित करने के साथ एक अनूठी खोज की थी। उल्कापिंड के टुकड़े जिस घने जंगली, सुनसान स्थान पर गिरे थे वहां बहुत से अनानास के पेड़ थे। उल्कापिंड में मौजूद तत्वों के प्रभाव से अनानास के पेड़ और फल विशालकाय और फिरोज़ी रंग के हो गए थे। अब नोमन दुविधा में था। अगर किसी और को या सरकार को बताया तो संभव है कि इस खोज का श्रेय, आगे का अनुसंधान और पैसा किसी और को मिल जाए, इसलिए इन परिवर्तित फिरोज़ी अनानास का असर वह जीवों और मानवो पर देखना चाहता था। वह कुछ जानवरों को पिंजरे में लाया पर उसकी लापरवाही से जानवर भाग गए। उसके पास समय कम था। किसी और अनुसंधानकर्ता या जांच एजेंसी के उस छोटे से स्थान तक पहुँचने से पहले ही उसे एक विस्तृत रिपोर्ट बनानी थी।
नोमन को याद आया की शहर से दूर वीरान आखरी पेट्रोल पंप पर उसे एक स्थिति-भ्रमित, भूखी-अधमरी औरत दिखी थी। वह उसे खाना खिलाने का लालच देकर अपने कारवान वाहन में उस स्थान पर ले आया। फ़ोन पर अपने पिता से जब नोमन ने बात बांटी तो उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी निरीह पर ऐसे प्रयोग करना ठीक नहीं। पर नोमन अपना मन बना चुका था। उसने अपने पिता की बात को अनसुनी कर कहा - "मानवता की तरक्की के लिए कुछ कुरबनियां तो देनी पड़ती है।"
नोमन ने उस औरत को उन फिरोज़ी अनानासों से अपनी भूख शांत करने को कहा। औरत ने ऐसा ही किया जबकि इधर नोमन अपने कैमरे, डायरी एवम अन्य उपकरणों से औरत की गतिविधियों पर नज़र रखने लगा। प्रयोग में किसी खतरे से बचने के लिए उसने अपना वाहन बंद कर लिया। बाहर वह औरत जैसे किसी रियासत की मालकिन हो गयी थी। सभी फिरोज़ी अनानासो का अकेले सत्यानाश करने की मंशा बना ली थी उसने।
कुछ अनानास खाने के बाद उस औरत की तबियत बिगड़ने लगी। जितना खाया उस से ज़्यादा उल्टी में निकाल दिया। लो बेड़ागर्क जाए नोमन का अब औरत भी फिरोज़ी हो गयी। औरत सामान्य हुयी और गाडी में बैठे नोमन की तरफ देखा। औरत चीते सी दौड़ती हुयी उस गाडी के पास आई और उसे खोलने की कोशिश करने लगी। नोमन दुखी था पर अपनी सुरक्षा के प्रति उस बख्तरबंद सी गाडी में निश्चिंत था। तभी फिरोज़ी महिला ने गाडी पर फिरोज़ी उल्टी की और गाडी की शीट का बड़ा हिस्सा पिघल गया। फिर वह अंदर घुसी और नोमन को खा गयी। बहुत बुरा हुआ!
पर जैसा नोमन ने कहा था - "मानवता की तरक्की के लिए कुछ कुरबनियां तो देनी पड़ती है।"
नोमन को याद आया की शहर से दूर वीरान आखरी पेट्रोल पंप पर उसे एक स्थिति-भ्रमित, भूखी-अधमरी औरत दिखी थी। वह उसे खाना खिलाने का लालच देकर अपने कारवान वाहन में उस स्थान पर ले आया। फ़ोन पर अपने पिता से जब नोमन ने बात बांटी तो उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी निरीह पर ऐसे प्रयोग करना ठीक नहीं। पर नोमन अपना मन बना चुका था। उसने अपने पिता की बात को अनसुनी कर कहा - "मानवता की तरक्की के लिए कुछ कुरबनियां तो देनी पड़ती है।"
नोमन ने उस औरत को उन फिरोज़ी अनानासों से अपनी भूख शांत करने को कहा। औरत ने ऐसा ही किया जबकि इधर नोमन अपने कैमरे, डायरी एवम अन्य उपकरणों से औरत की गतिविधियों पर नज़र रखने लगा। प्रयोग में किसी खतरे से बचने के लिए उसने अपना वाहन बंद कर लिया। बाहर वह औरत जैसे किसी रियासत की मालकिन हो गयी थी। सभी फिरोज़ी अनानासो का अकेले सत्यानाश करने की मंशा बना ली थी उसने।
कुछ अनानास खाने के बाद उस औरत की तबियत बिगड़ने लगी। जितना खाया उस से ज़्यादा उल्टी में निकाल दिया। लो बेड़ागर्क जाए नोमन का अब औरत भी फिरोज़ी हो गयी। औरत सामान्य हुयी और गाडी में बैठे नोमन की तरफ देखा। औरत चीते सी दौड़ती हुयी उस गाडी के पास आई और उसे खोलने की कोशिश करने लगी। नोमन दुखी था पर अपनी सुरक्षा के प्रति उस बख्तरबंद सी गाडी में निश्चिंत था। तभी फिरोज़ी महिला ने गाडी पर फिरोज़ी उल्टी की और गाडी की शीट का बड़ा हिस्सा पिघल गया। फिर वह अंदर घुसी और नोमन को खा गयी। बहुत बुरा हुआ!
पर जैसा नोमन ने कहा था - "मानवता की तरक्की के लिए कुछ कुरबनियां तो देनी पड़ती है।"
समाप्त!
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आश्चर्यजनक
ReplyDeleteक्या ये सच है
सादर