23 March Shaheed Diwas Poetry
*) - बसंती चोला मैला ना हो...
...तो विदेशी लिबास में ढक लिया,
पीढ़ियों को आज़ाद करने...
अदने से पिंजरे का कश लिया!
गैरों की बिसात पर उसकी बात चल गयी....
कागज़ी धमाके से रानी की चमड़ी जल गयी
गर्म दल की आंच पर मुल्क का ठंडा खून उबालने वाला,
साढ़े तेईस बरस का भगत...गोरी हुक़ूमत पर साढ़े साती लाने वाला....
*) - आज़ादी की लहर में दोनों रुख के बंदे बहे,
जहाँ नर्म दल के सिपहसेलार बने खुदा...
और प्यादे तक बादशाह हो गये,
वही गर्म दल के शहीद अपने ही देश में...
क्रांतिकारियों से गुण्डे हो गये।
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को उनकी पुण्यतिथि पर नमन!
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