Freelance Falcon ~ Weird Jhola-Chhap thing ~ ज़हन

Sunday, September 6, 2020

संजय राउत, आप स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे की विरासत पर पानी फेर रहे हैं!

 नमस्ते, संजय राउत जी! आप जिस पद पर हैं और जहाँ के लिए लोगों ने आपको चुना है उसको देखते हुए आप थोड़ा सोच कर बोला करें। कभी आप फेसबुक पर किसी कमेंट को लाइक करने वाली लड़कियों की गिरफ्तारी को जायज़ बता देते हैं, कभी एक समुदाय के वोट करने के हक़ को वापस लेने को कह देते हैं, कभी मृत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता के.के. सिंह के बारे में ऐसी बात कह देते हैं जिसका मामले से कोई सरोकार ही नहीं है। अब आप एक अभिनेत्री को गाली दे रहे हैं। पूरे मीडिया को दलाल बता रहे हैं। आप भी तो आँखें मूँद कर एक तरफ खड़े हैं। खुद के लिए कोई विशेषण नहीं सोचा आपने?

 ये तो ऐसी बातें हैं जो राष्ट्रीय पटल पर चर्चित हो गई, इनके अलावा स्थानीय तो आपने न जाने कितना अनाप-शनाप बोला और किया होगा। कृपया, थोड़ी शर्म कर लें। बार-बार इतना उल्टा-सीधा बोलते हुए मैंने सिर्फ़ राखी सावंत और दीपक कलाल जैसे लोगों को देखा है। क्या आप खुद को उनकी श्रेणी में रखना चाहते हैं? ऊपर से अपने बचाव में हास्यास्पद तर्क दे रहे हैं और अहंकार से भरी बातें, ट्वीट, पोस्ट आदि कर रहे हैं। आपकी शह में श्री अनिल देशमुख जैसे कुछ नेता भी आपकी बोली बोल रहे हैं। शिवसेना के कार्यकर्ता कोरोना के समय भीड़ में कंगना के पुतले जला रहे हैं। इतना अहं, इतनी असहिष्णुता, और इतनी छोटी सोच कहाँ लेकर जाएंगे?

 रही बात महाराष्ट्र या मुंबई के अपमान की तो आपने तो पूरे नारी जगत का अपमान किया है। दुनिया की 380 करोड़ महिलाएं ज़्यादा हुई या 12.5 करोड़ महाराष्ट्र (या 2 करोड़ मुंबई)। अगर कंगना रनौत को एक बार माफ़ी मांगनी चाहिए, तो उस हिसाब से आपका तो दर्जनों बार माफ़ी माँगना बनता है। 

 मैं आपसे माफ़ी मांगने को नहीं कहूंगा यह आपका अपना निर्णय है, लेकिन सोचिये ज़रूर...यह क्षेत्रवाद का बाजा कब तक बजाते रहेंगे? इससे ऊपर उठिए, देशहित देखिए! समाज का भला, स्त्रियों के अधिकार एक बड़े नज़रिये से देखने की कोशिश करें। नहीं तो आपकी पार्टी भी क्षेत्र में सिमट कर रह जाएगी। बाकी ऐसा नहीं है कि आपने कुछ अच्छा नहीं किया या कहा पर इन बातों पर गौर करके आप अगर खुद में बदलाव करेंगे तो और बेहतर समाज सेवा कर पाएंगे।

धन्यवाद!
 #ज़हन

Friday, September 4, 2020

फिर कभी सही...

 

कुछ महीने पहले स्कूल की एक कॉपी मिली...
उंगलियां पन्ने पलटने को हुई।
दफ़्तर को देर हो रही थी,
उंगलियों से कहा फिर कभी सही...

कॉपी ने कहा ज़रा ठहर कर तो देख लो,
9वीं क्लास की चौथी बेंच से झांक लो!
"फिर कभी सही"

आज याद आया तो देखा...
कॉपी रूठ कर फिर से खो गई...
#ज़हन

Tuesday, September 1, 2020

लेखक की कहानी, लेखक की ज़ुबानी-29 - आलोक कुमार और मोहित शर्मा ज़हन


लेखक अलोक कुमार जी के साथ मेरी बातचीत। 🎙️ 
काफ़ी मुद्दों पर बात हुई, जो रह गए उन्हें निपटाते रहेंगे। आप लोग स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखें। #ज़हन
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