Freelance Falcon ~ Weird Jhola-Chhap thing ~ ज़हन

Friday, September 4, 2020

फिर कभी सही...

 

कुछ महीने पहले स्कूल की एक कॉपी मिली...
उंगलियां पन्ने पलटने को हुई।
दफ़्तर को देर हो रही थी,
उंगलियों से कहा फिर कभी सही...

कॉपी ने कहा ज़रा ठहर कर तो देख लो,
9वीं क्लास की चौथी बेंच से झांक लो!
"फिर कभी सही"

आज याद आया तो देखा...
कॉपी रूठ कर फिर से खो गई...
#ज़हन

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 26 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर

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