मेरी जनवरी 2013 मे प्रकाशित हुई किताब Bonsai Kathayen से एक और पेशकश।
कक्षा 9 का छात्र शुभम कल होने वाले मैथ्स के एग्जाम को लेकर चिंतित था।
ये थ्योरम समझ नहीं आ रही नेट पर देखता हूँ। आदतन उसकी उँगलियों चली और उसने पहले,
*) - कुछ स्पोर्ट्स स्टार्स और रस्लर्स की प्रोफाइल्स चेक की।
*) - यूट्यूब पर कुछ आगामी फिल्मो के प्रोमोज़ देखे।
*) - सोशल साइंस जिसका पेपर हो चुका था के रैंडम फैक्ट्स, हालाँकि सोशल साइंस के पेपर से पहले इन्होने सतपुड़ा के जंगल और रेसलरस चार्ली हास और रैंडी ओर्टन की जानकारी लेते हुए घंटो बिताये थे पर आज इन्हें सोशल साइंस भी बड़ी रोचक लग रही थी।
इतना सब करने मे 3:30 बज गए और जब पढाई याद आई तब तक शुभम थक चुका था, उसने सुबह 6 बजे का अलार्म लगाया और सुबह सब जल्दी से देख लूँगा सोचकर सो गया। सुबह 9 बजे उसके भाई ने उसको उठाया जिसको लगा की ये रात भर पढ़ा है। 10 बजे से परीक्षा थी। शुभम ने घड़ी देखी तो वो डिप्रेस हो गया, इतनी जल्दी वो नहाये-धोये, खाए, स्कूल पहुंचे ... का जो सोचा था सब रह गया।
उसको गुस्सा भी आ रहा था की वैसे गलती से सेट हो जाए तो बिना बात के अजीब टाइम पर बज जाएगा पर जब ज़रुरत थी तो मोबाइल वाला अलार्म आखिर बजा क्यों नहीं? तब उसने ध्यान दिया की मोबाइल घड़ी मे AM की जगह PM सेट था।
"अब तो भोले शंकर का नाम लेकर ही एग्जाम देना पड़ेगा।"
- Mohit Sharma (Trendy Baba / Trendster)
lol nice little reality check enjoyed reading bonsai kathayen all the stories wer excellent......................
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