Freelance Falcon ~ Weird Jhola-Chhap thing ~ ज़हन

Monday, December 14, 2015

Micro Fiction Experiments - 4 & 5 #trendster

Micro Fiction Experiment # 04 (Theme - Sports)


*) - कुछ खिलाडी असल रिकार्ड्स की जगह सिर्फ घरेलु, जूनियर्स लेवल और किवदंतियों का हिस्सा बनने के लिए दुनिया में आते है। हाँ...ये बात और है जिसने भी उन्हें खेलते देखा, वो उन्हें कभी भुला नहीं सका। 

*) - जब फिटनेस थी तब अक़्ल का अकाल था। अब अक़्ल आयी तो शरीर पेट कटा ष सा हो लिया...भक!

*) - कहने को तो रजत पदक, कांस्य पदक से ऊपर माना जाता है पर मेडल सेरेमनी के बाद पता नहीं क्यों कांस्य पदक अर्जित करने वाले खिलाडी की नींद मिलीसेकेंड, आधे पॉइंट् को याद कर करवट बदलते रजत पदक जीतने वालो से गहरी होती है। सबसे बदतर स्थिति, सेमीफाइनल में आकर पदकरहित रहने वालों को तो भैया पूरे मोहल्ले की अनिद्रा एकसाथ लग जाती है। 

*) - टीम के वर्ल्ड कप फाइनल में पहुँचने का ऐसा जश्न मनाया कि नाच-नाच में टीम के MVP का कंधा डिस्लोकेट हो गया और बाद में उसकी अनुपस्तिथि में कप हारे सो अलग। बन ली नचनियां?... ले ले कददू अब...हप!

*) - कल जो अपने प्रशंषको को अक्सर अपनी सिक्योरिटी से पिटवा दिया करता था, आज अपने धूमिल चर्चों के पुराने अख़बारों की कटिंग फेसबुक-ट्विटर पर बड़ी शिद्दत से स्कैन करके डालता है। 

*) - एक औसत देश में पैदा हुआ विश्वस्तरीय खिलाडी अक्सर किसी विश्वस्तरीय (मापदंड देने वाले) देश में पैदा हुए औसत खिलाडी से हार जाया करता है। 

*) - कुछ लोग अपने 5-7 प्रदर्शनों के बल पर सुपरस्टार्स बन जाते है जबकि कई पूरे करियर मज़दूरों की तरह तिनका-तिनका यश-सम्मान बटोरते है।

*) - इंसान के एक से अधिक पसंदीदा खेल होने चाहिए। अगर किसी खेल में निराशाजनक सीज़न चल रहा हो तो अन्य जगह से कुछ दिलासा सा मिल जावे। 

*) - इस खेल में चोटिल होना आम बात है, पर बीच मैदान में उसकी चीत्कार बता रही थी कि वो चोट अलग थी। करियर का क़त्ल करने वाली विरल चोट! 

*) - अगर वो 35 साल तक रिटायर होती तो महान खिलाडी कहलाती पर 42 वर्ष तक खेल को घसीट कर उसने अपने सर्वोत्तम रिकॉर्ड को साधारण बना डाला। 

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Micro Fiction Experiment # 05 (सपने वाले अंकल जी)


एक रात वृद्ध अंकल जी को अचानक सपने दिखने लगे।
रंग-बिरंगे, प्रकृति के, खेल-खिलोनो के, बच्चो के, समुद्र के, युद्ध के, मौसम के, अश्लील वाले, यात्रा के और विभिन्न विजुअल्स। 

सपने उन्हें आते थे कभी कबार पर इतने अधिक और इस तरह के रोलरकोस्टर दृष्टांत तो कतई नहीं। 
अंदाज़ लगाया कि शायद ईश्वर ने उन्हें मरने से पहले अपने आस-पास मौजूद दूसरो के सपने देखने की शक्ति दी है, चलो इस बहाने रोज़ नींद में ही सही कुछ मनोरंजन हो जाएगा। 

ध्यान केंद्रित कर उन्होंने किसी भी व्यक्ति के नये-पुराने सपने पढ़ने की शक्ति अर्जित कर ली, चलो इस बहाने संपत्ति का अधिक हिस्सा किसे दूँ यह निर्णय हो जाएगा। 
पहले बेटे के सपने नीरस थे, हुंह जैसे ये कुछ नहीं बोलता वैसे ही इसके सपने भी बोगस। छोटे बेटे के सपने देखता हूँ, वो मुझे बहुत प्यार और सम्मान देता है। 
अरी मईया! पहले ही सपने में मेरी चिता जला कर उसके अराउंड शादी के फेरे ले रहा है। अब ना देने का इसे रुड़की वाला प्लाट। 

छोटे बेटे के कई सपनो में बूढ़े अंकल ने अपनी मौत, पिटाई, बेइज़्ज़ती देखी। 
वैसे तो बड़ा भी कुछ ख़ास नहीं पर लुच्चो की इस टक्कर में कुछ दशमलव अंको से मैं उसे जिताता हूँ। ज़्यादा संपत्ति बड़े को, बाकी थोड़ा बहुत हिस्सा राम गोपाल वर्मा के उस विकृत रूप, मेरे छोटे बेटे को। 

अंकल ये भी हो सकता था कि आपके छोटे बेटे को मनोविज्ञान, अपराध, डार्क आदि विषयों में रूचि हो और आप उसके दिल के सबसे करीब होने के कारण उसके विकृत ख्वाबों में कहीं ना कहीं आ जाते हों। अंकल-अंकल....लो बिना ये विचार किये ही काल के ग्रास में समा गए अंकल !  

- मोहित शर्मा (ज़हन) 
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#mohitness #mohit_trendster #freelancetalents #trendybaba

Sunday, December 13, 2015

New Podcast - Avchetan Mastishk Locha (Mohit Trendster)

My latest comedy podcast after a log time, "Avchetan Mastishk Locha". Do leave feedback! 

Podcast link:


Also uploaded - Vocaroo, Clyp, Picosong, wordpress etc.

Aapke mastishk, mastiksh.... masshuhs...Massachusetts... Dimaag mey kya kya pada rehta hai jo life mey kabhi kaam nahi aata. Par jis detail k saath dil se ye sab yaad rehta hai lagta hai kisi janm mey kahin reh gayi secret tijori ka password hai. Aasha hai aapko ye prayas pasand aayega....  
मोहित शर्मा ज़हन

Saturday, December 12, 2015

3 Micro Fiction Experiments (Mohit Trendster)

Mohit Trendster's Micro Fiction Experiments (Youtube Playlist)


Micro Fiction Experiment # 01 - Theme: अपहरण (Kidnapping)


*) - बाहरी लोग सही कहते थे जंगली लोग जादू-टोना करते है। दो महीनों तक घने जंगल की गुमनामी में बंधक बना पर्यटकों का दल आज उन्हें बचाने आये कमांडोज़ और उनके अपरहरणकर्ता कबीले वालों के बीच में ढाल बनकर खड़ा था। 

*) - बब्बन पाशा चिंतित था। बड़े गुटों के कुछ आत्मघाती, अपहरण मिशन फेल हुए तो बिल उसके गिरोह के नाम फाड़ दिया गया। अब भारी सुरक्षा से उसने एक विदेशी राजनयिक को अगवा किया तो कोई मान के नहीं दे रहा उल्टा उसके आतंकी संगठन से मिलते जुलते नाम वाले संगठन को श्रेय दिया जा है खबरों में। 

*) - क्रोध में बिलबिलाता पर कुछ करने में असमर्थ मोज़ेस ठगा सा महसूस कर रहा था क्योंकि एक तो वह नास्तिक था और तो राजनीती वगैहरह में नहीं पड़ता था। बेचारा बस एक टेनिस मैच देखने आया था, वो भी जीवन में पहली बार। अब किन्ही धर्मों की लड़ाई में उसको क्यों किडनैप कर लिया गया। 

*) - विभोर ने बंदूकें फिल्मों में ही देखी थी। उसका मन थर-थर काँप रहा था जबकि बाहर से उसका स्थिर-शांत तन तरह-तरह की भाव भंगिमाओं से अपनी 4 साल की बच्ची का समस्या से ध्यान बँटाने और सब ठीक हो जाने का दिलासा देने में लगा था। 

*) - किटकिटाते दांतों से खुद को गरियाने की कोशिश करती गरिमा सोच रही थी कि जहाँ भाग कर आयी उस वीराने में इस दन्त-कुड़कुड़िया सर्दी से बेहतर तो वो गुंडे ही रख रहे थे। 

*) - बंगले के बाहर जमा किडनैपर गुट का मकसद हत्या नहीं था, पर दंगों से उबर रहे शहर में अफवाहें ज़ोरो पर थी। दुछत्ती में छिपे परिवार के अन्य सदस्यों की जान बचाने के लिए माँ ने रो रहे नवजात का गला घोंट दिया। 

*) - अब उसे पता चला कि गिरोह के सरगना ने बंधक से आँखें मिलाने को क्यों मना किया था। जाने क्यों अपने किडनैपर को भी उम्मीदों से देख रहीं थी वो आँखें...कसम से अगर 2 क्षण उन आँखों में और देख लेता तो साइड बदल कर उन्ही का हो जाता। 
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Micro Fiction Experiment # 02 - Theme: Science


*) - कृतिम रूप से लैब में निर्मित चींटी, दल में घुसपैठ करने के बाद समझ नहीं पा रही थी कि उसकी प्राकृतिक बेवकूफ बहनो में मेहनत और अनुशासन की इतनी सनक क्यों सवार है। 
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*) - रोज़ाना ज़िन्दगी से छोटे-बड़े समझौते करते हुए जिस प्रयोग में उसने अपना जीवन समर्पित कर दिया, जब वह लगभग पूर्णता पर था...तब खबर आयी कि वैसा ही प्रयोग दुनिया के किसी साधन-संपन्न वैज्ञानिक ने कर दिया है। 
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*) - जो प्रजातियां प्रयोग के लिए चाहिए थी, असिस्टेंट उनके बजाये दिहाड़ी मज़दूर ले आया। 
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*) - जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप्स (जनुकीय परावर्तित अन्न) फ़ल-सब्जी के सेवन पर व्रत में मनाही थी। सूखा ग्रस्त क्षेत्र में भी उस भोजन का आधार जीवाणु की कोशिका का मांसाहार अंश धर्म-भ्रष्ट करने को काफी थी। 
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*) - जिस हथियार के आविष्कार से उसे विश्व में नाम, मान-सम्मान मिला.....बाद में उसे बनाने की ग्लानि में ही उसने अपनी जान ली। 
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*) - आज को जिन युगों ने इतनी रफ़्तार दी, खैरात में मिली उन रफ्तारों के योग पर सवार यह पीढ़ी पुराने युगों की धीमी रफ्तारों का कितनी आसानी से मज़ाक बना लेती है!
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Micro Fiction Experiment # 03 (नासमझ इतिहास)


*) - अठारवीं सदी की बात है, दुनिया के सबसे दुर्गम नोलाम द्वीप पर तब तक कोई मानव नहीं पहुंचा था। 

*) - बेहतर जहाज़ों और तकनीकों के बल पर दुनिया के तीन शक्तिशाली देशों में वहाँ सबसे पहले पहुँचने की होड़ लगी थी। 

*) - एक देश द्वारा दल भेजे जाने की खबर के तुरंत बाद बाकी दोनों देशों ने भी आनन-फानन में अपने जहाज़ी दस्ते रवाना किये। 

*) - देश A और देश C लगभग एकसाथ वहां पहुंचे। संचार का कोई माध्यम ना होने के कारण अब एक ही रास्ता बचा था। 

*) - A और C के जहाज़ी दलों में एक दूसरे को समाप्त करने के विध्वंसक युद्ध छिड़ गया। 

*) - कुछ घंटो बाद आखिरकार देश C के दल ने देश A के क्रू को ख़त्म करने के साथ-साथ उनका जहाज़ डुबो दिया।

*) - दल C के कप्तान और 4 सदस्य ज़िंदा बच पाए, तभी उन्हें देश B का जहाज़ आता दिखा। 

*) - अब दुनियाभर  में इतिहास की किताबों में पढ़ाया जाता है कि दुर्गम नोलाम टापू पर सबसे पहले देश B के लोग पहुँचे। 
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Sunday, December 6, 2015

The Selfish Book and Other Stories (Anthology)


The Selfish Book: and Other Stories by M. Kari Barr, Oscar Wilde, Andrew Lawson, Christina Foster, Stephanie Haw, Mohit Sharma, Star Belina Ryan.

Children's stories written to capture the essence of Oscar Wilde by various authors from around the world. 

Published - 17 Novemver 2015
Publisher - Melani Barr
Language - English
Paperback ISBN - 978-1517726522
Ebook ASIN - B0184WRL8O
*My story 'Migratory Birds' in this book.

A tribute to Oscar Wilde's Children's Stories...seven delightful stories with morals, brightly illustrated by Star Belina Ryan...stories selected and edited by M. Kari Barr.

*) - Paperback link: http://www.amazon.com/Selfish-Book-other-stories-inspired/dp/1517726522/ref=sr_1_1?s=books&ie=UTF8&qid=1449434874&sr=1-1&keywords=the+selfish+book+kari
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Friday, November 20, 2015

Kuboolnama (Nazm) - मोहित शर्मा 'ज़हन'


कुबूलनामा (नज़्म)

एक दिलेर कश्ती जो कितने सैलाबों की महावत बनी,
दूजी वो पुरानी नज़्म उसे ज़ख्म दे गयी। 
एक बरसो से घिसट रहा मुकदमा,
दूजी वो पागल बुढ़िया जो हर पेशी हाज़िरी लगाती रही।

मय से ग़म गलाते लोग घर गए,
ग़मो की आंच में तपता वहीँ रह गया साकी,
अपने लहज़े में गलत रास्ते पर बढ़ चले,
.....और रह गया कुछ राहों का हिसाब बाकी।

वीरानों में अक्सर हैरान करती जो घर सी खुशबू ,
आँचल में रखी इनायत घुल रही है परदेसी आबशार में... 
मेरे गुनाह गिनाना शगल है जिसका,
फ़िर भी बैर नहीं करती लिपटी रोटी उस अखबार में। 

रोज़ की शिकायत उनकी, 
बेवजह पुराने सामान ने जगह घेर रखी....
काश अपनी नज़र से उन्हें दिखा पाता,
भारी यादें जमा उन चीज़ों पर धूल के अलावा। 

उलट-सुलट उच्चारण के तेरे मंत्र-आरती चल गए,
रह गए हम प्रकांड पंडित फीके... 
दुनियादारी ने चेहरों को झुलसा दिया,
उनमे उजले लगें नज़र के टीके। 

समाप्त!

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Kubulnama (Nazm)

Ek diler kashti jo kitne sailaabo ki mahavat bani,
Dooji wo purani nazm jo use zakhm de gayi.
Ek barso ghisat raha mukadma,
Dooji wo pagal budhiya jo har peshi haziri lagati rahi.

Mayy se gham galaate log ghar gaye,
Ghamon ki aanch mein tapta wahin reh gaya saaki,
Apne lehze mein galat raaste par badh chale,
.....aur reh gaya kuch raahon ka hisaab baaki.

Veerano mein aksar hairaan karti jo ghar si khushboo,
Aanchal mein rakhi inayat ghul rahi pardesi aabshar mein...
Mere Gunaah ginana shagal hai jiska,
Phir bhi bair nahi karti lipti roti us akhbar mein.

Roz ki shikayat unki,
Bewajah puraane samaan ne jagah gher rakhi....
Kaash apni nazar se unhe dikha paata,
Bhaari yaaden jama un cheezon par dhool ke alawa.

Ulat-sulat uchchharan ke tere mantra-aarti chal gaye,
Reh gaye hum prakaand pandit pheeke...
Duniyadaari mein jhulse chehre,
Unme ujle lage nazar ke teeke....

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 बहुत समय बाद कुछ शायरी की है, वैसे निरंतर कुछ ना कुछ लिख रहा हूँ पर यह ब्लॉग कम अपडेट कर रहा हूँ। वैसे नेट पर मेरा पिछले कुछ महीनो का काफी काम मिलेगा। 
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Saturday, October 10, 2015

सबकी अनैतिक बढ़त

अंतर्राष्ट्रीय साइकिल रेस के लिए चुना गया नेचुरल कोर्स शिव के लिए नया नहीं था। आखिर यही वह रास्ता था जहाँ वो वर्षो से प्रतिदिन अभ्यास करता था। उसके मित्रों और जानने वालो को पूरा विश्वास था कि यह रेस जीतकर शिव अंतर्राष्ट्रीय सितारा बन जाएगा। कॉलेज में कुछ हफ्ते पहले ही उसको यह दर्जा मिल गया था। शिव के कोच राजीव मेहरा मानकर बैठे थे कि अगर उस दिन कुछ ऊँच नीच हुयी, तब भी शिव शुरुआती कुछ रेसर्स में आकर बड़ी इनामी राशि अर्जित कर लेगा। स्थानीय कंपनियों में यह बात फैली तो उससे कुछ स्पोंसर्स जुड़ गये। 

रेस का दिन आया और रेस शुरू हुयी। पहले चरण में शिव काफी पीछे रहा, लोगो ने माना कि शायद वह अपनी ऊर्जा बचा रहा है या यह उसकी कोई रणनीति  है। पर रेस ख़त्म होने पर कुशल साइकिलिस्ट शिव औसत 17वें स्थान पर आया। स्थानीय लोगो और उसके करीबियों में अविश्वास और रोष था। जो रेस शुरू होने से पहले लाइमलाईट लेने में सबसे आगे थे, वही कोच और स्पोंसर्स रेस के बाद ताने देने वालो में सबसे आगे थे। जबकि एक शून्य में खोया शिव प्रतियोगिता की घोषणा के दिन से ही अलग उधेड़बुन में था। 

माहौल शांत होने के बाद एक शाम अपने मित्र सुदीप्तो के सामने उसने अपना दिल खोला। 

शिव - "मैंने खुद को बहुत समझाया पर मन को समझा नहीं पाया। मुझे लगा कि एक रास्ता जिसके हर मोड़, उंच-नीच यहाँ तक कि हवाओं की दिशा तक से मैं इतना करीब से परिचित हूँ पर मेरा जीतना अनैतिक होगा, एक चीटिंग होगी बाकी साइकिलिस्टस के साथ। धीरे-धीरे यह बातें मेरे दिमाग पर इतनी हावी हों गयी कि रेस के दिन वो बोझ मेरे पैरों, मेरे शरीर पर महसूस होने लगा और परिणाम तुम जानते ही हो।"

सुदीप्तो - "भाई, पहली बात तो ये कि दिमाग बड़ी कुत्ती चीज़ है, किसी मामले में बिलकुल परफेक्ट और कहीं-कहीं बिलकुल फ़िर जाता है। तो यह जो तुम्हारे साथ हुआ ये किसी के साथ भी हो सकता था। किसी बात में जब हमे सीधा लाभ मिलता है और हम किसी भी रूप में प्रतिस्पर्धा का हिस्सा होतें है तो कभी-कभी अपराधबोध लगता है कि हमे मिली यह बढ़त तो गलत है। पर इस बढ़त को एक मौके की तरह देखो जिसे पाकर तुम अपने और अपने आस-पास के लोगो के लिए एक बेहतर कल सुनिश्चित कर सकते हो। सोचो अगर यह रेस तुम जीतते तो अपने साथ-साथ कई लोगो का जीवन बदल देते और क्या पता आगे इस पूरे कस्बे की तस्वीर बदल देते। जहाँ तक अनैतिक बढ़त या चीटिंग की बात है वह तो तुम अब भी कर रहे हो, बल्कि हम सब करते है।"

शिव - "भला वो कैसे?"

सुदीप्तो - "तुम्हारे साधन-संपन्न माता-पिता है, क्या यह उन लोगो के साथ चीटिंग नहीं जो बचपन में ही अनाथ हो गए या जो किसी स्थिति के कारण गरीब है? तुम 6 फुट और एथलेटिक बॉडी वाले इंसान हों, क्या यह उन लोगो पर अनैतिक प्राकृतिक बढ़त नहीं जो अपाहिज है? तुम्हारे क्षेत्र में शान्ति है, क्या यह देश और दुनिया के उन लोगो पर बढ़त नहीं जिन्हे युद्ध के साये में जीवन काटना पड़ता है?"

शिव - "इस तरह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं।"

सुदीप्तो - "इस तरह सोचोगे तो कभी जीवन में कोई मौका भुना नहीं पाओगे। ऐसे एंगल से सब सोचने लगे तो दुनिया के सारे काम उलट-पुलट जायेंगे। हाँ, हमे कुछ बातों में दूसरो पर प्राकृतिक या अन्य बढ़त हासिल है पर कुछ बातों में दूसरो को लाभ है। पते की बात यह है कि हम स्वयं को बेहतर बनाने में और अपने काम को अच्छे ढंग से करने पर ध्यान दें, अब अगली रेस कि तैयारी करो। गुड लक!"

समाप्त!

- मोहित शर्मा (ज़हन)

#mohitness #freelancetalents #trendster #freelance_talents #trendybaba

Saturday, September 19, 2015

Bageshwari Magazine (Sep-Oct 2015) Issue


I am loving the format and content of this magazine.  Continuing my association with Yoguru Technologies, this is Bageshwari's fifth issue with my works. Read my latest laghukathayen exclusively....Bageshwari (September - October 2015)

#mohitness #mohit_trendster #trendybaba

Saturday, September 5, 2015

Parikrama Comic


Parikrama, is a comic based on fanfic work (part of advert series) written by yours truly in 2007. Illustrated by Yash Atharv Thakur and Colored by Inderjeet Bhanoo. Exclusively available - desi-american.com and sister websites, forums. Cover by Saket Kumar

A page from Parikrama

#parikrama #mohitness #rajcomics #comics #indiancomics #freelance_talents #yashatharv #inderjeet #mohit_trendster

Friday, August 14, 2015

लालची मौत :: Deadly Deal, Horror Comic (Freelance Talents)


Deadly Deal (Laalchi Maut) - Horror Comic by Comic Fan Fest in association with Freelance Talents. Author - Mohit Trendster, Illustrator - Kuldeep Babbar, Coloring - Harendra Saini, Calligraphy - Youdhveer Singh

Freelance Talents और Comic Fan Fest पेश करते है लालची मौत (हॉरर कॉमिक्स), कल स्वतंत्रता दिवस से रोज़ाना इस पेज पर।

P.S. Delayed Release (Story - 2006, Artwork - 2011)

Thursday, August 13, 2015

Guest appearance in Ashes (RSP)


Guest appearance in Ashes -Adish Origins (Red Streak Publications) after winning "Fire for Fear" writing contest (with co-winner Utkarsh Sikriwal). 

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Nyctophobia Struggle....

My entry for Red Streak Publications Fire for Fear Contest. 

                                                             Red Streak Publications
Entry #4
from meerut

डर हर किसी के जीवन का अंग है, बस उसके कारक अलग-अलग हो सकते है पर डर का अनुभवकभी ना कभी हम सभी करते है। अपने अनुभव से मैंने यह सीखा है कि डर को टाल कर हम उसे अपनी आदत में आने का और बड़ा होने का अवसर दे देते है जबकि उसका सामना कर उसको हराना उतना मुश्किल नहीं जितना हम समझते है। जीत कभी तुरंत मिल जाती है और कभी धीरे-धीरे भय को मारा जाता है।

मेरा डर अँधेरे से था। वजह तो पता नहीं पर बस यही एक बात थी जिस से मुझे बेचैनी होती थी। बचपन तो मम्मी-पापा के बीच में राजा की तरह सोकर कट गया पर टीनएजर होने पर बड़े भैया और दीदी के अलग शहरों में जाने के बाद अपना कमरा मिला तो रात में लाइट ऑफ करना मेरे लिए एक संघर्ष बन गया। जैसा मैंने कहा कि इसका कारण मुझे याद नहीं पर अवचेतन मन में शायद कोई बचपन में सुनी कहानी घर कर गयी थी या मैंने खुद ही कोई अनजान अनुभव गढ़ लिया था। धीरे-धीरे घरवालो ने इस आदत के लिए टोकना शुरू किया पर हमेशा मेरे पास कुछ ना कुछ बहाने रहते थे लाइट जली छोड़ने के। शायद समय के साथ मेरे पिता जी जान चुके थे पर मुझे बुरा ना लगे इसलिए उन्होंने कभी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया इस बात पर मेरे बड़े होने के बाद भी।

यह भय केवल अंधकार का नहीं था बल्कि उसमे गढ़ी अज्ञात बातों, काल्पनिक भूत-प्रेतों, जीवों का भी भय था। जब भी लाइट ऑफ कर सोने की कोशिश करता तो ऐसा लगता जैसे कोई कमरे में बैठा मुझे देख रहा है। उस ओर पीठ कर सोने को होता तो लगता कि वह और पास आ गया है। वैसे अंधेरे में कहीं बाहर टहलने में, किसी अँधेरी जगह जाने में यह डर शायद इसलिए नहीं लगता था क्योकि मन को गाड़ियों-लोगो कि आवाज़ों से यह तस्सली रहती थी कि आस-पास कोई है और कुछ अनहोनी होने पर मैं दौड़ कर उनके पास पहुँच सकता हूँ। पर रात को ना लोगो कि आवाज़े रहती और ना ही मैं परिवार के सदस्यों को परेशान करना चाहता था इसलिए चाहे-अनचाहे मुझे अपने कमरे में मुझे घूरते अनजान जीवों के साथ रहना पड़ता।

इन्वर्टर आम होने के ज़माने से पहले लाइट जाने पर रात में अगर मेरी नींद खुलती तो 15-20 मिनट्स तक करवटें बदलने तक अगर लाइट वापस नहीं आती तो मुझे बरामदे में टहलना पड़ता जहाँ दूर की स्ट्रीट लाइट्स से, घरों से थोड़ी बहुत रौशनी रहती थी। वैसे तो टोर्च भी थी पर घुप्प अँधेरे में टोर्च की रौशनी घरवालो का ध्यान खींच सकती थी और उसे किसी तरह ढकने या एंगल बदलने पर फायदा ना होता। पूरी कोशिश रहती थी की मेरे परिवार पर यह बात ज़ाहिर ना हो इसलिए रात में कम से कम हरकते करता था। एक बार तो सरकारी मकान में अपने कमरे कि खिड़की के कोने में अच्छा-खासा छेद कर दिया जिस से लाइट जाने पर भी दूर अलग फेज़ की स्ट्रीट लाइट की बीम से कमरे में थोड़ा उजाला रहे।

समय के साथ चीज़ें बदली पर यह आदत जैसे मेरे रूटीन में आ गयी। अगर मैं कहीं किसी के यहाँ कुछ दिनों के लिए बाहर जाता या किसी फंक्शन आदि वजह से कोई मेरे कमरे में सोता तब मुझे ऐसा कोई डर नहीं लगता था। पर यह बात 25 साल के हो जाने के बाद भी जारी रहने पर मुझे परेशान करने लगी। जब भी मैं लाइट बंद कर सोने की कोशिश करता तो कुछ ही देर में इतनी बेचैनी हो जाती कि उठकर स्विच ऑन करना पड़ता। अब खुद पर गुस्सा बढ़ने लगा था। पहले तो 6 फ़ीट से ऊपर अपने शरीर को देख कर लगता था कि ऐसा क्यों करता हूँ मैं, फ़िर इस बात को बचपन से अब तक घसीटते जाने पर। एक यह सोचने पर हँसी और रोष दोनों आते थे कि बचपन से अब तक मैं कितनी लाइट वेस्ट कर चुका हूँ इस डर के चक्कर में।

समस्या पर गौर करने पर मैंने पाया कि अब तक मैं सिर्फ इसको अनदेखा कर रहा था, टालते हुए बच रहा था पर असल में मैंने कभी इसका सामना तो किया ही नहीं। सबसे पहले तो मैंने पाया की मेरा शरीर और मेरी आँखें रात में रौशनी की इतनी अभ्यस्त हो चुकी थी कि उजाला कम या बंद होने पर अपने आप मेरी नींद टूट जाती थी, शायद तभी कहते है कि बहुत लम्बे समय तक बुरी आदत के साथ रहने पर उस से पीछा छुड़ाना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है। फिर मैंने अपने कमरे में रात के लिए अलग से ज़ीरो वॉट का बल्ब लगाया और कुछ हफ्ते उसमे सोया। जब मुझे कुछ अंतर महसूस हुआ तो समय था डर से सीधे उसके इलाके में युद्ध करने का। मैंने एक रात वह बल्ब भी ऑफ कर दिया पर पूरी रात सो नहीं पाया, पसीने से लथपथ बेचैनी का यह सिलसिला कुछ दिनों तक चला। फिर मैंने ध्यान बटाऊ टैक्टिक्स सोचे जैसे सोने से पहले खुद को अलग-अलग विचारों में डुबा देना, एक्सरसाइज से बहुत थका लेना, भगवान जी का स्मरण करते रहना, म्यूजिक सुनना आदि जिस से फायदा हुआ पर लगा कि यह भी भय को टालना हुआ, उसका सामना करने के बजाए।

अब मैंने बिना सहारे के सीधा मुकाबला करने की ठानी। मैं कमरे में हर उस तरफ उन काल्पनिक आँखों में देखता रहता जब तक मुझे नींद नहीं आती। अंतर लग रहा था, मैं बेहतर महसूस कर रहा था। कुछ दिन बाद अपने रूटीन में मैंने बिस्तर से तुरंत उठ कर कमरे के उन कोनो, जगहों पर जाकर घूरना शुरू कर दिया जहाँ मुझे लगता कोई मुझे बैठा/खड़ा घूर रहा है। इस बात कि घूरने वाले/वाली को शायद आदत नहीं थी, अब मैं भी अंधेरे के उन काल्पनिक लोगो को वैसे ही परेशान कर रहा था जैसे होश संभालने के बाद से अब तक उन्होंने मेरी नींद हराम कि थी (और मेरे पापा का बिजली का बिल बढ़वाया था)। आखिरकार मैंने इस डर को खुद से अलग कर लिया था और जैसे एक भ्रम को राख कर मन से एक भारी बोझ कम कर लिया। मैं चैन से सोने के लिए अब उजाले पर निर्भर नहीं। अब कभी कभी वह घूरने वाला कमरे मे आता है तो उस तरफ मुस्कुरा कर आराम से सो जाता हूँ।

Friday, July 31, 2015

Mohit Trendy Baba July 2015 #updates


*) - Freelance Talents Championship 2015-16 #ftc1516 Announcement


*) - Updated my photography blog Mohit-O-Graphy!

*) - ICF Annual Poll (Multiple Communities, Groups and Discussion Boards, Winner - Campfire Graphic Novels)


*) - ...had fun judging inaugural Comics Theory Contest. Congratulations to all the winners! ‪#‎comicstheory‬ ‪#‎contest‬ ‪#‎mohitness‬ ‪#‎mohit_trendster‬‪#‎freelance_talents‬


*) - Bageshwari Magazine (July 2015 Issue), Roles - Sub-editor, Co-judge of Laghu Katha Contest with Yogesh Amana ji and Author of 2 short stories.

- #mohitness #mohit_trendster #freelance_talents

Tuesday, July 28, 2015

Initiative - "India-Archives : भारतीय अभिलेखागार"


India-Archives Community के 2 प्रमुख उद्देश्य है - भारतवर्ष से जुडी विभिन्न बातों और गौरवशाली इतिहास का एक विस्तृत, सटीक डेटाबेस बनाते हुए उसका प्रचार-प्रसार करना। साथ ही भारतीय इतिहास के नाम पर प्रचलित भ्रमित करने वाली बातों को चिन्हित करते हुए देश और दुनिया को तथ्यों और बनावटी बातों का फर्क बताना। मुझे आशा है कि समय के साथ यह प्रयास और बेहतर रूप लेगा। 


Official Community FB Page -

Group Link - 

Twitter, Tumblr and Youtube updates soon.

#mohit_trendster

Monday, June 29, 2015

मोहित शर्मा (ज़हन) June 2015 #Updates


*) - Bageshwari June (Wrote 2 Articles), also judging "Laghu Katha Contest" for July 2015 issue.


*) - Randomiya continues....(snail's pace)


*) - Judging one of its kind  "Comics Theory (Research Anthology)" Contest with Mr. Anurag Kumar Singh.


*) - Another act by Ayush Jha on my concept, script - "Kingmaker Khameleon". 

*) - You can read my short stories, articles, reviews and random rants here (recently updated these 4 blogs) - 

Trendy Baba Mafia421 Brand Beedi FederationMohit Sharma (Trendster/Trendy Baba) Online Archives


*) - Pending short comics (Deadly Deal, Desh Maange Mujhe, Parikrama etc) calligraphy begins.....

Tuesday, May 19, 2015

Video - Mr. Writer (Jholachhap Talent)

Mr. Writer (Jholachhap Talent), short film.

Actor, Director: Mithilesh Gupta
Camera: Siddharth Gupta, Himmatman Singh
Story, Script - Mohit Trendster
Banner: You & Me Films


Youtube Link -

Friday, May 1, 2015

Wednesday, April 29, 2015

Kavya Comics News


*) - "Meri Aazadi ka Ruab" exclusively at Fenil Comics website and social media pages. by yours truly, Yash (Harish Atharv) Thakur, Soumendra Majumder, Ajay Thapa and Manabendra Majumder. 

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*) - Page from another WIP project "Desh Maange Mujhe" with Prince Ayush.

Sunday, April 26, 2015

बागेश्वरी पत्रिका (मई २०१५)



Sunehri jo Meera (Poem) and Dhongi Filmkaaro ki jamaat (Article) published in May 2015 edition of Bageshwari Magazine.

Google Playstore Link - http://books.google.co.in/books/about?id=wTCzCAAAQBAJ&redir_esc=y

- Mohit Sharma (Trendster) #mohitness #mohit_trendster #trendy_baba #bageshwari #rajasthan #india

Wednesday, April 15, 2015

नवीन रंजिश - मोहित शर्मा (ज़हन) #mohit_trendster


यह कहानी है दो खानदानों के बीच पीढ़ियों से चली आ रही रंजिश की, जिसका अंत देखने सुनने वालो को असंभव लगता था। बदले ज़माने के नये परिवेश में भी राणा और वर्मा परिवारों की दुश्मनी बरकरार थी, और होती भी क्यों ना? इनके पुरखों ने ना जाने कितनी आहुतियाँ दे डाली थी अब तक इन झगड़ों में। सीधे ढर्रे पर चलते जीवन में जैसे सुर्ख रंग की मिलावट की आदत पड़ गयी थी इन्हे।

आज बरसो बाद एक बार फिर से दोनों परिवार आमने सामने थे। क्या पुरुष - क्या महिला, सबकी आँखों में बरसों का रोष झलक रहा था। एक तरफ वर्मा परिवार के मुखिया भानु वर्मा, जिन्हे अपनी पीएचडी डिग्री का गुमान और दूसरी तरफ राणा परिवार के सर्वेसर्वा संग्राम राणा जिन्होंने अपने पुरखों की शान में अपनी मूँछे नहीं कटाई। पर यह ऊपरी आडम्बर किसकी तसल्ली के लिए गढ़े जा रहे थे इसका जवाब किसी के पास नहीं था?

क्या इतिहास खुद को आज दोहराने वाला था? तो क्या कहानी का एक और पन्ना खून के रंग में रंगने वाला था? जानते हैं भानु वर्मा की शान, उनके अनुज बलिदान वर्मा कि ज़ुबानी।

"अरे कुछ ना हुआ भैया जी....मैं पहले ही कह रहा था कि बात सुलटा लो पर दोनों तरफ इतने कलमुँहे, कुल्टा लोग भरे पड़े है कि नहीं जी चाहे मकान-दुकान चले जायें पर आन-बान-शान ना चली जाये। और सब लड़ने को तैयार, मेरी भी मती मारी गयी थी जो जोश में आकर अपने भईया से भी आगे कूद के आगे आ गया। वही बात है कि जब एड्रिनलिन पम्प करता है तो आदमी जम्प करता है। तेज़ बहस, ललकारों को सुनकर मुफ्त की लड़ाई देखने की आस में भीड़ इखट्टा हो गयी, जिनको देखकर पास के स्कूल से हटकर चूरन-चाट वालो ने हमारे आस-पास ठेले लगा लिए। दोनों साइड जो कुछ एक लड़ना नहीं चाह रहे थे उन्हें लगा कि इतनी भीड़ और ठेले लग गये है उन्हें निराश घर नहीं भेजना चाहिए।

जंग का आगाज़ हुआ और......आई मम्मी इतनी ज़ोर का सरिया लगा ना मेरे खोपड़े पे कि डेढ़ सेकंड में गिव-अप कर दिया मैंने और चुस्की वाले की रेहड़ी की टेक लेके बैठ गया। लड़ाई शुरू होती इस से पहले ही गली के अपार्टमेंट की एक बालकनी जहाँ पूरी नवीन किराना स्टोर जॉइंट फैमिली संडे मूवी का प्लान कैंसल कर के हमारे युद्ध के एंटरटेनमेंट से अपने पैसे बचाने के मूड में थी, छज्जे समेत हम सबके ऊपर डह गयी।
संग्राम राणा परं ईंटो की बरसात हो गयी, जिसमे से एक ईंट ने घिसट कर उसकी मूँछ को नेस्तोनाबूद कर दिया। मेरे बड़े भ्राता भानु के खोपड़े पर नवीन किराना वालो कि नववधु का घुटना ऐसा लगा कि वह पीएचडी डॉक्टर से सीधा सातवी कक्षा वाले हो गए। ऊपर किसी कि गंदी नाली का पाइप चोक था वो टूटकर हमारी बहु-बेटियों का मेकअप धो गया।

किसकी टांग कौनसी है, किसकी कोहनी किसके पेट में चुभ रही है....कुछ पता नहीं। दुश्मनो के जो मुँह एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते थे वो मलबे के नीचे कामुक मुद्राओं दबे अनचाहे आपस में कहाँ-कहाँ चुंबन ले रहे थे। ताऊ जी जो मिलने आये थे और मज़े-मज़े में साथ आ गए और नवीन किराने वालो के कुत्ते के मुँह इस तरह मलबे में आमने-सामने पोज़ीशण्ड थे कि मदद आने तक कुत्ते से मुँह चटवाने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। ये जो रायता फैला इसके साफ़ होने के बाद पता चला दोनों पार्टीज की नानीयां, दादियां टकली हो गयी है। फिर किसी ने बताया की बुढ़िया के बाल वाले के कस्टमर ज़्यादा हो गए थे इसलिए उसने....."

अंत में अस्पताल में ही सुलह हुई और दोनों परिवारो को यह बात समझ आई कि पुरानी रंजिशों को चलाते रहने में समझदारी नहीं है। अब दोनों परिवारो कि नयी रंजिश शुरू हुयी......नवीन किराना स्टोर फैमिली से।

- मोहित शर्मा (ज़हन) #mohitness #mohit_trendster #freelance_talents

Tuesday, March 31, 2015

Mohit Trendster March 2015 Updates

*) - Second paper in English and Hindi on Inland Waterways of India submitted to a publisher. 

*) - Published Laghu Kathayen and special articles on various issues (Prabhat Dainik, Shah Times and First News), you can read some of those - Online Archives, OA Apr and Trendy Baba Mafia Blog.

*) - Couple of event appearances.


*) - Conducted creative workshops for Arya Foundation, Meerut members. 

*) - Freelance Talents and ICF online brainstorming hangouts.

*) - Page from new Kavya Comic....

Thursday, March 5, 2015

Mohit Trendster February 2015 Info


*) - 1 poem and 1 story in inaugural issue of Bageshwari magazine (Editor - Mr. Yogesh Amana Gurjar)


*) - Randomiya and Zambo Zet Zahaaz ki Zustzoo webcomics continue....


*) - Columns for local daily Dainik Prabhat and First News news channel continue.


*) - Cover story and Article for Roobaru Duniya (March 2015) issue.


*) - Couple of new podcasts @ Soundcloud.

....and few delayed projects. :(

- Mohit Trendster 
#mohitness #mohit_trendster #trendy_baba #freelance_talents