Monday, December 13, 2021
सरकारी संन्यास (हास्य व्यंग)
Saturday, November 6, 2021
5-book anthology series - "What if..."
5) - What if there was an anywhere door
Thursday, September 16, 2021
2 Poems in Red Sunflower (Anthology)
2 poems in this anthology by yours truly (will share few stanzas soon). One of the biggest anthologies in terms of total authors, poets (100). Congratulations to the compiler Bhawna Dewangan and team.
Available - Notion Press =*= * Amazon
Saturday, September 11, 2021
Poem in Deep Silence (Anthology)
'Stealthy silence' (poem) in Deep Silence (anthology), Paperback: 150 pages
ISBN-10: 1685388396
ISBN-13: 978-1685388393
Editors - Sanoj Kumar and Kiran Baghari
Notion Press:
Amazon:
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Friday, June 18, 2021
Story in Anthology: Narratives in Monochrome (June 2021)
My story "Herd Mortality" included in anthology book "Narratives in Monochrome" with 24 talented authors.
Publisher - Flairs and Glairs, Editor - Rashmi Pai Prabhu, ISBN-10: 9391302270, ISBN-13: 978-9391302276
https://www.amazon.in/Narratives-Monochrome-Rashmi-Pai-Prabhu/dp/9391302270/
Wednesday, April 21, 2021
ज़रूरी था...
पिछले हफ़्ते मैं और मेरे माता-पिता कोरोना पॉजिटिव हो गए। इस समय मैं अपने पैतृक घर पर उनके साथ हूँ। मेरी पत्नी और पुत्र दूसरे घर में सुरक्षित हैं। 19 अप्रैल को हमारी शादी की तीसरी सालगिरह थी, लेकिन इस स्थिति में उनसे मिलना संभव नहीं था। इस आपदा की घड़ी में, लोगों के इतने बड़े दुखों के बीच यह बात बांटना भी छोटा लग रहा है। बस यह ठीक है कि मेरा बाकी परिवार सुरक्षित है और मैं इस समय माता-पिता के साथ हूँ। मेघा को दिए कुछ उपहारों में हमारे फ़ोटो पर कलाकार Ajay Thapa की बनाई यह पेंटिंग सबसे ख़ास है...
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आगे कभी...पीछे मुड़कर इस साल को देखेंगे,
तुम इससे पूछ लेना..."क्या यह साल ज़रूरी था?"
मैं भी डांट दूंगा..."क्या यह हाल ज़रूरी था?"
ज़िन्दगी के किसी शांत दौर में...फिर इस साल से बात करेंगे।
तब जब तुम मुस्कुरा रही होगी,
बैंक में पड़ी मोटी बचत का हिसाब लगा रही होगी,
बुढ़ापे की दवाई खा रही होगी।
तब जब मैं कहीं फ़ोन नंबर की जगह पिन कोड लिख रहा होऊंगा,
तुम मुझे किसी महीन बात का अंतर समझा रही होगी।
मैं छिप कर मीठा खा रहा होऊंगा,
तुम प्रभव से मेरी शिकायत लगा रही होगी।
उन बातों में कभी इस साल को भी शामिल कर लेंगे,
और मुस्कुराकर इससे कहेंगे,
शायद यह इम्तिहान ज़रूरी था...
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#ज़हन
Last week, tested positive for Coronavirus along with my parents. I am in home quarantine away from my wife and kid...and today is our third wedding anniversary.
Thursday, March 11, 2021
राज कॉमिक्स का बंटवारा - तीन हिस्से हुए?
बीते दिनों भारतीय कॉमिक्स जगत की एक बड़ी घटना हुई। मैं अचंभित हूं कि अभी तक आधिकारिक रूप से इस बात पर कोई ब्लॉग, लेख आदि पढ़ने को क्यों नहीं मिला। 1986 से सक्रीय प्रकाशन राज कॉमिक्स के तीन हिस्से हो गए।
राजा पॉकेट बुक्स के संस्थापक स्वर्गीय राज कुमार गुप्ता जी का दिसंबर 2020 में निधन हो गया। उनके देहांत से पहले ही उनके पुत्रों (संजय गुप्ता, मनोज गुप्ता और मनीष गुप्ता) के आपस में मतभेद हुए जिनका कुछ अंश सोशल मीडिया पर साझा किया गया। सभी पक्षों की पूरी बात सार्वजानिक तौर पर सामने नहीं आई, इस वजह से उस बारे में बात करना तो ठीक नहीं होगा। हालांकि, इस दौरान 'Raj Comics by Sanjay Gupta' (RCSG) और 'Raj Comics by Manoj Gupta' (RCMG) के विज्ञापन आने लगे। श्री मनीष गुप्ता की ओर से अभी कोई अपडेट देखने को नहीं मिली।
RCMG और RCSG के विज्ञापनों और इन कुछ महीनों में बिक्री पर लगी कॉमिक्स को देखकर पता चलता है कि किरदारों के इस्तेमाल के अधिकार साझा कर लिए गए हैं। साथ ही, पुरानी छपी कॉमिक्स को भी क्रम के अनुसार बाँट लिया गया है, ताकि यह साफ़ रहे कि कौनसी कॉमिक का रीप्रिंट किसे प्रकाशित करना है। मंदी के इस दौर में, दोनों प्रकाशन कॉमिक्स के साथ-साथ कलाकारों, संसाधनों का भी साझा इस्तेमाल कर रहे हैं। राजा पॉकेट बुक्स का संचालन भी इसी तरह होगा।
अगर तुलना की जाए तो श्री मनोज गुप्ता ज़्यादा प्रयोगात्मक थीम पर काम कर रहे हैं। वहीं श्री संजय गुप्ता जी पर पहले घोषित की गईं कुछ बड़ी सीरीज़ को प्रकाशित करने का दबाव है। कॉमिक बाज़ार में उनकी गुडविल भी ज़्यादा है। टीम की बात करें, तो दोनों ही तरफ़ संतुलित कलाकार और लेखक हैं। वैसे अभी किसी नतीजे पर आना जल्दबाज़ी होगी, क्योंकि इतने किरदारों, हज़ारों कॉमिक्स के कॉपीराइट अधिकार और आय को बराबर बांटना काफ़ी मुश्किल काम है। ऐसा हो सकता है कि भविष्य में यह बात विवाद का कारण बने। आशा है, आने वाले समय में भारतीय कॉमिक्स जगत में फिर से राज कॉमिक्स परिवार की नियमित कॉमिक्स आती रहें।
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#ज़हन
Monday, February 22, 2021
'धन्यवाद' के थोक विक्रेता - लेखक मिथिलेश गुप्ता
अब उनकी नई किताब 'ऑक्सीजन ऑफ़ लाइफ' प्रकाशित हुई है। इस किताब की ख़ास बात बस यही है कि मिथिलेश, अपनी पहली प्रकाशित किताब के आने से भी पहले इस टाइटल और कहानी की बातें किया करते थे। एक के बाद एक उनकी किताबें आती रहीं, लेकिन उन्हें मलाल रहता कि जो कहानी दिल के सबसे पास है और जिसे सबसे पहले कहना था वह इतने सालों से टल रही है।
...एक बात और है उनमें कि वे काफ़ी काम खुद ही निपटा लेते हैं पर फिर पूरा होने के बाद होलसेल में धन्यवाद बांटते हैं। मतलब ऐसा कि ढूंढ-ढूंढकर शुक्रिया। ऑफिशियल शुक्रिया, ग्रुप में शुक्रिया, पेज पर शुक्रिया...पेस्ट करने के बाद कुल्ला करते हुए शुक्रिया। नई किताब का पहला संस्करण बिकने की मिथिलेश जी को एक बार फिर से...धन्यवाद...मेरा मतलब बधाई!
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Sunday, February 21, 2021
स्वर्गीय कलाकार अनिरुद्ध साईंनाथ कृष्णमणि को श्रद्धांजलि - R.I.P. Anirudh Sainath Krishnamani (Molee Art)
Sunday, February 14, 2021
घरेलू अतिक्रमण - जब पौधों ने दी इंसान को गाली
कई सालों तक जीतोड़ मेहनत करने के बाद, विशाल का घर बनाने का सपना आखिरकार साकार हो रहा था। ठेकेदार मुख्य जगह के अलावा घर में बगीचा बनाने की बातें कर रहा था।
विशाल - "अरे वह कहाँ हो पाएगा, घर में बड़ी कार के अलावा, 2 बाइक, साइकल सब हैं, कैसे पार्क करेंगे?"
ठेकेदार - "अरे आप तो परदेसी जैसी बात कर रहे हो, जैसे यहाँ रहे न हों। हर कोई बाहर ही लगाता है यहाँ गाड़ियां, एक आपकी खड़ी जाएगी तो कौन पूछ रहा है?"
विशाल, ठेकेदार का इशारा समझता था। वह अब तक की नौकरी में 3 प्रदेशों के 7-8 शहरों में रह चुका था और कई छोटे शहरों में घूम चुका था। कई जगह लोग अपने घर से बाहर कार, बाइक खड़ी करते थे। आस-पास के लोग, फेरी वाले आदि सब उन वाहनों के हिसाब से रहने की, निकलने की आदत डाल चुके थे। विशाल को यह अजीब लगता और रोज़ असुविधा भी होती पर कुछ सेकंड या एक-दो मिनट की असुविधा की वजह से वह भी कभी किसी से न उलझा। कुछ लोग तो अपने घर के अधिकृत क्षेत्र से बाहर दीवार या लोहे की बॉउंड्री बनवाकर अपनी गाड़ियां या सामान लगाते। ज़्यादातर जगहों पर किरायेदार के तौर पर ऐसा करना उसे ठीक भी नहीं लगा।
हालांकि, विशाल ने यह ज़रूर ठाना था कि जब उसका घर बनेगा, तब वह घर के अंदर ही कार वगैरह के लिए जगह रखेगा। आखिर, कई विकसित देश, जैसा भारत के लोग भारत को बने देखना चाहते हैं, उनके नागरिक भी तो ऐसी सोच रखते हैं। वही कि सिर्फ अपना भला न देखकर दूसरों के बारे में भी सोचना। विशाल खुद के छोटे स्तर पर ही सही यह बदलाव लाना चाहता था।
विशाल - छोटी सी जगह में कुछ पौधे लगा लेंगे, गार्डन रहने देते हैं। आप कार, बाइक की जगह अंदर ही बनाओ।
ठेकेदार - "आपका घर, आपकी मर्ज़ी। बाकी अभी काम बाकी है, आपका मन बदले तो बता देना।"
घर के हर कोने की तरह यह फैसला भी विशाल की पसंद के हिसाब से हुआ। घर तैयार हुआ और विशाल परिवार के साथ उसमें आ गया। कुछ दिनों बाद विशाल अपने घर के अंदर लगे गिने-चुने पौधों को पानी दे रहा था कि उसे बाहर से किसी ने आवाज़ लगाई। विशाल आवाज़ सुनकर गेट की तरफ गया।
विशाल - "जी?"
"मैं लोमेश कुमार, आपके सामने रहता हूं, यहीं मिल के पास मेरा इलेक्ट्रॉनिक सामान का शोरूम है।"
विशाल - "अरे आप, नमस्ते सर। बड़ा सुना है आपके बारे में।"
लोमेश - "नमस्कार, बस आप जैसे लोगों की दुआ है। एक छोटी सी मदद चाहिए थी।"
विशाल - "ज़रूर, बताएं।"
लोमेश - "अब बच्चा बड़ा हो गया है, तो उसके लिए कार ली है। हमारे घर के बाहर तो मेरी कार और कंपनी का टेम्पो रहता है। मैंने देखा आपके घर के बाहर जगह खाली रहती है, आपका घर हमारे ठीक सामने भी है...तो मैं सोच रहा था कि बच्चे की गाड़ी यहीं आपके घर के बाहर पार्क करवा दिया करें।
यह बात सुनकर, पौधे विशाल को गाली देने लगे।
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#ज़हन
Image Credit - Lucas K.
Thursday, February 4, 2021
राम जन्मभूमि पर काव्य प्रस्तुति ऐनिमेशन
Wednesday, January 27, 2021
दिल्ली बड़ी दूर है, किसान भाई! #ज़हन
Sunday, January 10, 2021
काव्य कॉमिक्स और फ्रीलेंस टैलेंट्स कॉमिक्स का सफर #ज़हन
नमस्ते! 2009-2010 में मैंने मिशन बनाया कि सभी सक्रीय (खासकर शुरुआत कर रहे) कलाकारों के साथ कॉमिक्स बनाईं जानी चाहिए। तबसे 2018 तक कम पैनल वाली 4 पेज से लेकर 22 पेज की कई शार्ट कॉमिक्स बनाई। इनमें मैंने हुसैन ज़ामिन, तदम ग्यादू समेत बहुत से कलाकारों के साथ काम किया चाहे उन्होंने पेंसिल, कलरिंग या शब्दांकन किया। कॉमिक्स की 2 श्रेणियां थी, सामान्य थीम पर किसी कहानी वाली कॉमिक और काव्य कॉमिक (इनमें कविता की लाइन के अनुसार दृश्य लगाए जाते थे)। उनमें से कुछ कॉमिक्स के कवर पोस्ट के साथ लगा रहा हूं।
पता नहीं उस समय थर्ड पार्टी से काम "दिखाने" की क्या भूख थी कि सारा काम करके कुछ प्रकाशकों को दे देते थे कि "आप अपने सोशल मीडिया पर अपने लोगो के साथ छाप दो", कभी उसपर खुद ही 1 रुपये तक की बात नहीं हुई जो मेरी ही गलती है, हम बस इसमें खुश हो जाते थे कि प्रकाशक के पेज पर अपना काम आया मुझे खुद अपनी प्रोफ़ाइल या पेज पर नहीं डालना पड़ा। कुछ साल बाद यह काम अपनी ही प्रोफ़ाइल और कई साइटों पर काम पोस्ट करने लगा। तब एक छात्र या नए निजी नौकरीपेशा के तौर पर कलाकारों को पैसे देना और काम मैनेज करना आप समझ ही सकते हैं इसलिए ज़्यादा पेज या पैनल नहीं हो पाते थे। अब ये सभी कॉमिक्स इंटरनेट पर कई साइटों पर उपलब्ध हैं। जैसे कि Readwhere, Scribd आदि
जब लगा कि इतने कलाकारों के साथ काम करना मुश्किल है, तो 3 राउंड वाली फ्रीलांस टैलेंट्स चैंपियनशिप 2015-16 में लेखकों-कलाकारों की जोड़ी रखी जिसके तहत 54 क्रिएटिव ने भाग लिया। इस दौरान कुछ काम फिक्शन कॉमिक्स, राज कॉमिक्स के सौजन्य से प्रकाशित हो गए। उन कलाकारों को भी अपनी सूची में शामिल कर लिया। फिर घर-परिवार में ये बातें प्राथमिकता से भूली-बिसरी बन गईं। आखिर में कॉमिक्स कम्युनिटी में सक्रीय कुछ कलाकारों के साथ कोई कॉमिक न बना पाने का मलाल रहा। इनमें शामिल हैं - Uttam Chand, Navneet Singh, Vipin Negi, Aditya Kishore, Ravi Biruly, Anshu Dhusia, Saket Kumar, Sumit Sinha, Rudraksh आदि। आशा है आगे कभी किसी प्रोजेक्ट में आप लोगों के साथ काम करने का मौका मिलेगा। ❤
नए साल की शुभकामनाएं!