पिता शब्द भले ही माँ के बाद आता हो पर जीवन मे उनका महत्व उतना ही है। बलिदान, परिश्रम, प्रेम के मामले मे आमतौर पर पिता का योगदान अनदेखा कर दिया जाता है। ऊपर से कुछ प्रतिशत बुरे से उदाहरणों से करोड़ो अच्छे पिताओं को नाप दिया जाता है। यह कविता सभी प्रेरणादायक, बलिदानी, स्नेहिल और परिश्रमी पिताओं को समर्पित।
वो अख़बार ओढ़कर चिंता करते है सारे घर की,
चाहे शक्ल पर थकान दिखाए दफ्तर की।
कौन कहता है पुरुषो मे भावनायें होती है कम,
पापा की ज़ोरदार डांट ध्यान से 'खाओ' वो उनके प्यार से होती है नम।
इनको क्या पता चलेगा ये सोचकर आप से अक्सर होशियारी हो जाती है अपने आप,
पर आप ये भूल जाते है की वो रिश्ते मे लगते है आपके बाप।
चेहरे से ही मन की बात जान जाते,
वो हमको सिर्फ सही रास्ते पर चलता देखना चाहते।
अपेक्षाओ के बोझ तले,
उपेक्षाओ के संग चले.....
जीवन के हर मोड़ पर कभी मदद करते, कभी देते नसीहतें,
जैसे इंसान नहीं कोई ग्रह-नक्षत्र हो जो टाले अपनी छाँव में मुसीबतें।
ये ज़रूरी तो नहीं की हर वक़्त पिता अपना प्यार जताएँ,
क्या ये उनका स्नेह नहीं की वो हमें खुश रखते है मारकर अपनी इच्छाएँ।
अक्सर माँ रुपी देवी के पीछे छिपा दिए जाते है अनगिनत देवता तुल्य पिता,
तभी शायद उनपर ना कोई प्राईम टाईम सीरियल...न लाखो कॉलम, फिल्मे व आर्टिकल...और ना ही पुरुष आयोग बना।
वो अख़बार ओढ़कर चिंता करते है सारे घर की,
चाहे शक्ल पर थकान दिखाए दफ्तर की।
कौन कहता है पुरुषो मे भावनायें होती है कम,
पापा की ज़ोरदार डांट ध्यान से 'खाओ' वो उनके प्यार से होती है नम।
इनको क्या पता चलेगा ये सोचकर आप से अक्सर होशियारी हो जाती है अपने आप,
पर आप ये भूल जाते है की वो रिश्ते मे लगते है आपके बाप।
चेहरे से ही मन की बात जान जाते,
वो हमको सिर्फ सही रास्ते पर चलता देखना चाहते।
अपेक्षाओ के बोझ तले,
उपेक्षाओ के संग चले.....
जीवन के हर मोड़ पर कभी मदद करते, कभी देते नसीहतें,
जैसे इंसान नहीं कोई ग्रह-नक्षत्र हो जो टाले अपनी छाँव में मुसीबतें।
ये ज़रूरी तो नहीं की हर वक़्त पिता अपना प्यार जताएँ,
क्या ये उनका स्नेह नहीं की वो हमें खुश रखते है मारकर अपनी इच्छाएँ।
अक्सर माँ रुपी देवी के पीछे छिपा दिए जाते है अनगिनत देवता तुल्य पिता,
तभी शायद उनपर ना कोई प्राईम टाईम सीरियल...न लाखो कॉलम, फिल्मे व आर्टिकल...और ना ही पुरुष आयोग बना।
:) nice message and lang as always
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