चंदा चमक नहीं याद आएगा वो...
फूल महक नहीं याद आएगा वो..
चिडिया चहक नहीं याद आएगा वो..
सावन की बूंदों मे अक्स लगे तेरा...
गाँव के हर कूंचे मे तेरा बसेरा....
छोटी ये जिंदगी,
दुनिया लगती बड़ी..
फिर भी तेरे बिना...
कटती न जिंदगी..
तिनका जो उड़ गया,
साया था मुड गया.
रुदाली रो गयी,
रौनक कहीं खो गयी.
तानो को सह लिया,
बानो को बुन लिया.
शायद रह गयी कहीं कसर,
बोझ लगे सफ़र.
काजल सूखे कहीं,
आंचल छूटे नहीं.
आये जो तेरी याद,
सूखी रोटी भी देती स्वाद.
खुद का बनाया ज़हर मत खा,
आजा अब लौट आ...
थामा जो हाथ ये..
पूरी कर बात ये...
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