थामना चाहता था मै झंडा मरते दम,
पर रुक गया मै खुद को समझाकर,
तिरंगे का रंग न बदल जाए,
मेरे लहू से सुर्ख होकर.
मेरी माँ के पास मत ले जाना मेरे ताबूत को,
कुदरत की बंदिशे धरी रह जायेंगी,
माँ के छूने भर से ही लाश मे जान आ जायेगी.
पिता जी को संभाल लेना क्योकि उन्होंने ही अब तक हम सबको संभाला,
मै उनका क़र्ज़ चुका नहीं पाया...पर उन्होंने ही देश के आगे सब कुछ लुटाना है सिखाया.
...अपनी संगिनी को भी संदेश देना हूँ चाहता...
तुम्हारा साथ देने का वायदा,
मै मर कर भी नहीं भूल पाऊंगा
इस जन्म की वफ़ा को मै आठवा जन्म लेकर निभाऊंगा.
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